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आज दो चीज़ों की बड़ी सख़्त जरूरत है : पहली, अमीरों को यह पता चलना चाहिए कि गरीब लोग कैसे जिंदगी जीते हैं ; और दूसरी, ग़रीबों को यह पता चलना चाहिए कि अमीर लोग कैसे काम करते हैं |
एक रोचक सत्य घटना
अपनी आर्थिक तंगी से परेशान एक अधेड़ मैनेजर किसी वित्तीय विशेषज्ञ की सलाह लेने का फैसला करता है |
मैनेजर एक बहुत सम्मानित वित्तीय सलाहकार से अपाॅइंटमेंट लेता है, जिसका आफिस पार्क एवेन्यू की एक भव्य इमारत में हैं |
मैनेजर जैसे ही सलाहकार के सुसज्जित रिसेप्शन रूम में दाख़िल होता है, चकरा जाता है |
वहाँ कोई रिसेप्शनिस्ट नहीं है |
बस सामने दो दरवाजे हैं | एक पर लिखा है
" कर्मचारी " और दूसरे पर लिखा है " सेल्फ़ - एम्प्लाॅयड" |
चूंकि मैनेजर कर्मचारी है, इसलिए वह " कर्मचारी " वाले दरवाजे को चुनता है | एक बार फिर दो दरवाजे उसका स्वागत करते हैं | एक पर लिखा है, " आमदनी 40,000 डाॅलर से कम " दूसरे पर लिखा है " आमदनी 40,000 डाॅलर से ज्यादा " |
मैनेजर की आमदनी 40,000 डाॅलर से कम है, इसलिए वह पहले वाले दरवाजे को चुनता है | एक बार फिर उसके सामने दो दरवाजे आ जाते हैं | बाएँ दरवाजे पर लिखा है, " साल में 2,000 डाॅलर से ज्यादा बचत, " और दाएँ में लिखा है, " साल में 2,000 डाॅलर से कम बचत |"
मैनेजर के बचत में सिर्फ एक हज़ार डाॅलर ही पड़े हैं, इसलिए वह दाएँ दरवाजे को चुनकर उसके भीतर चला जाता है - वह दोबारा पार्क एवेन्यू की सड़क पर पहुँच जाता है |
******* ऊपर मैनेजर अपनी लीक से कभी बाहर नहीं निकल पाएगा, जब तक कि वह अलग दरवाजे़ खोलने का विकल्प न चुने |
सबक
हम में से ज्यादातर लोग उसी मैनेजर की तरह होते हैं - वे जिंदगी में ऐसे दरवाज़े खोलने का फै़सला करते हैं, जो उन्हें घुमा - फिराकर वहीं पहुँचा देते हैं, जहाँ से उन्होंने शुरू किया था |
"" अगर तुम वही करते रहो, जो हमेशा करते आए हो, तो तुम्हें वही मिलता रहेगा, जो हमेशा मिलता रहा है | "
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