सबसे ज्यादा आसानी से रुपये कमाने वाला योजना

मैं आपको एक ऐसे धंधै के बारे में बताने जा रहा हूं जिसके बारे में आप सपने में भी नहीं सोच सकते। ये धंधा बहुत पुराना है और हर सरकार इस धंधे को चलाने में मदद करती है। बस इस धंधे को चलाने वाले को दो तीन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। 1. गोपनीयता, 2. बेशर्मी और 3. सभी से मधुर संबंध।

मैं जो बताने जा रहा हूं वह मेरा आंखों देखा है ।

सबसे पहले आप किसी भी झुगगि झोंपड़ी में जगह ले लो। अगर झुग्गियां नई जगह पर बन रही हों तो बहुत बढ़िया। एक बी पी एल कार्ड बनवा‌ लो बस हो गया धंधा शुरू।

अब आप झुग्गि को दो मंजिला या तीन मंजिला बना लिजिए और बनाने से पहले अपने क्षेत्र में घुम कर देख लिजिए कि सरकारी रिपेयर कहां चली रही है बस वहां से आपको बहुत ही कम खर्च पर झुगगि बनाने का अधिकतर सामान मिल जाएगा। एक ठीक सा सामान्य सा कमरा 3000/ हजार रुपए महीने पर किराए पर चढ़ जाता है, मान लो आपके हर फ्लोर पर एक ही कमरा है तो भी आप कम से कम 9000/ रूपए महीना तो कमा ही लेंगे।

मान लिजिए आपने ये झुगगि पचास हजार में ली और तीस पैंतीस हजार ऊपर लगाए तो कुल लागत पचासी हजार और आमदनी पहले साल एक लाख आठ हजार। आपकी लागत केवल 7 महीने में वापिस।

यदि आप एयरकंडीशन लगा देंगे तो किराया और अधिक मिलेगा।

अब चूंकि आपने बी पी एल कार्ड बनवा‌या हुआ है तो अब आप मुफ्त राशन, मुफ्त शिक्षा, मुफ्त अस्पताल और बाकी सारी सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के हकदार हो जाते हैं। गरिबों के लिए सरकार ने बहुत सारी योजनाएं चलाई हुई है जिनकी जानकारी आपको स्थानीय पार्षद से मिल जाएगी।

यदि आपके पास अधिक धन की व्यवस्था है तो और झुग्गियां ले लिजिए।

आपकी जानकारी के लिए बता दूं कि इन झुग्गियों में आप जो चाहें करें कोई आपको पुछने नहीं आएगा।

अब आप अपने गरिबी वाले कार्ड की सहायता से सड़क पर एक छोटी सी ही सही दुकान लगा लिजिए कुछ दिनों में आपकी सभी सरकारी विभागों से जान पहचान हो जाएगी और उसका लाभ लेते हुए कुछ और दुकानें खोल दिजिए और वहीं किराए पर चढ़ा दिजिए। पांच हजार से आठ हजार तक एक दुकान चढ़ जाती हैं। खर्चा छे सौ से हजार प्रति दुकान।

एक बहुत ही मज़ेदार बात बताता हूं। महंगाई इन झुग्गियों में रहने वाले लोगों की वजह से ही होती है क्योंकि हर सरकार बजट का एक बहुत बड़ा हिस्सा इन लोगों पर खर्च करती है।

मज़ेदार बात यह है कि हमारे घर पर जो काम वाली बाई आती है वह हमे अपने राशन वाले 20 किलो चावल हर महीने 15 रूपए के हिसाब से बेच देती है क्योंकि उसके घर पर सभी बासमती चावल ही पसंद करते हैं। अभी कुछ दिन पहले उसने हमें सुचित किया कि अब सभी लोग 20 रूपए के हिसाब से चावल बेच रहे हैं परन्तु वह हमें 18 के हिसाब से देगी। पहली बार उसने बातों बातों में हमें बताया कि यह चावल उसको सरकार मुफ्त में देती है । पहली बार समझ आया कि महंगाई कैसे बढ़ती है। जब मुफ्त में मिले सामान का रेट बढ़ सकता है तो बाकी का क्यूं नहीं।

यदि किसी को मेरे द्वारा दी गई जानकारी पर ज़रा भी शक हो तो एक बार दिल्ली की विकास पुरी में J Block में इंदिरा कैंप नम्बर 2–3 में आकर स्वयं देख सकते है।

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